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Saturday, April 10, 2010

Silence of the Silent....



बजे प्यार की शबनम मेरे गुलिस्तान में
बरसते रहते हैं हर सिम्त मौत के साये
सियाहियों से उलझ पड़ती हैं मेरी आँखें
कोई नहीं .. कोई भी नहीं जो बतलाये
कितनी देर उजालों की राह देखे
कोई नहीं ..है कोई भी नहीं
न पास न दूर
एक यार हैं
दिल की धरकन
अपनी चाहत का जो एलान किये जाती है
ज़िन्दगी है जो जिए जाती है
खून कै घूँट पियैँ जाती है
ख्वाब आँखों से सिये जाती है..........

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